रमेशजी के प्रधानाध्यापक(वरिष्ठ अध्यापक) पद पर मेवाड़ की
धरा पर राजकीय सेवा के जोइनिंग के अविस्मरणीय पल - कार्यग्रहण तिथि दिनाँक 07-09-2020
कहानी रमेश चौधरी की := मैं अपनी जिंदगी में बार-बार असफल हुआ हूँ और इसीलिए मैं सफल होता हूँ।
अब आप भी देखो एक मिनट मे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की क़िस्त कितनी मिली है

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प्रिय श्री रमेश कुमार %अगरारामजी के वरिष्ठ अध्यापक में चयन होने तक लंबे संघर्ष की संक्षिप्त दास्तां:-
यह कहानी सामान्य हैं मगर अपने आपमें बहुत गहरी हैं यह कहानी सोरडा गाँव के एक कृषक परिवार के लडके की हैं जो न तो बचपन से पढाई में प्रतिभाशाली था,या यू कहे कि अंतिम बैच पर बैठने वाले फिसड्डी बालको में था तो अतिश्योक्ति नहीं होगी{जिसका संक्षिप्त प्रमाण में उनके पूर्व परिणामो से दे रहा हूँ-
कक्षा-10 वी 37.05% By G
कक्षा-12 वी 48%(arts)
स्नातक- 48% (arts)
स्नात्कोत्तर(M.A.geography-1st time- %) (2nd time-59%)}
न ही कभी निजी(प्राइवेट)स्कूल में पढाई की, न ही परिवार अधिक पैसो वाला था,न ही कोई घर में शिक्षित था जिसने मार्गदर्शन प्रदान किया हो....आइए उस लडके के द्वितीय श्रेणी शिक्षक बनने तक के सफर पर संक्षिप्त नजर डालते हैं...
आपका बचपन गाँव के ही सरकारी विद्यालय में पढाई व पापाजी के साथ कृषि कार्य करने में बीता,आपको पापा ने उस समय गाँव से बाहर पढाई के लिए भेजा जब गाँव के दुसरे लोग अपने बच्चो को कृषि या अन्य स्वरोजगार कार्यों में लगाते थे सन्-2004-05में कक्षा 9th में सिरोही के किसी हाँस्टल में आपको प्रवेश दिलाया मगर आपका मन पढाई में कम ही लगता था जिसका परिणाम हमें कक्षाओ के परिणाम से ध्यातव्य हैं आपने सिरोही के राजकीय महाविद्यालय से स्नातक किया तथा Ncc कैडेट्स के तौर पर 'C'श्रेणी का प्रमाण पत्र प्राप्त किया,आगे का अध्ययन आपने जयपुर से किया....
आपके सामाजिक जीवन की बात करू तो आप परिवार में एक बहिन और तीन भाइयों में सबसे बडे हैॆ पापाजी की उम्र वर्तमान में 60 वर्ष की हैं जिन्होने और माताची ने बेहद ही विकट सामाजिक-आर्थिक परिस्थतियों में खेतो में निरन्तर पसीना बहाया, और आपके जीवन पादप को सिंचने का कार्य किया,जो आज जाकर फलीभुत हुआ हैं
आपका अपना संघर्ष तो बेहद ही लाजवाब हैं आपने आर्थिक तंगी से परेशान होकर दो बार किसी निजी कंपनी में भी कुछ पैसे गवाएँ,आपने मोबाइल रिपेयरिंग के क्षेत्र में हाथ आजमाने की कोशिश की, आपने स्नातक के अंतिम वर्ष मेॆ मई-जून माह की तपती गर्मीयों में उदयपुर जिलें में गाँवो में घुमकर साँगवान के पौधे बेचकर भी स्वरोजगार का प्रयास किया इस दौरान आप निजी जीवन में भी कई समस्याओ से जुझते रहे तथा सामाजिक तौर पर भी कई परेशानियाँ झेलनी पडी,आपके परिवार में बडे होने के कारण आपको माता-पिता एवं परिवार का आशान्वित दृष्टिकोण भी जिम्मेदारियों का अहसास करा रहा था ...तत्पश्चात आप स्वयं पढाई में इतने कमजोर थे कि उस स्तर व तात्कालिक परिस्थतियों से किसी विद्यार्थी का यह सोचना भी संभव नहीं लगता कि मैॆ सरकारी सेवा में जाऊँगा तब आपने सन्2010-11 में संकल्प लिया कि मैं शिक्षा श्रेत्र में सरकारी सेवा में जाउँगा और उसमें भी आपका लक्ष्य सदैव 1st grad अध्यापक का रहा हैं (जो ईश्वरीय इच्छा से जरूर फलीभूत होगा) आपने चुनौतियो का डटकर सामना किया व खुद को दुनियादारी से अलग करके किताबो में झोक दिया...आप 2013-14 की पुलिस भर्ती में बहुत करीब से असफल हुए परन्तु आपने अपने लक्ष्य पर फोकस किया, आपने 1st grad 2016 में भी हाथ आजमाया मगर आपको नजदीकी असफलता प्राप्त हुई मगर आपने हार नहीं मानी ,आपके साथ किस्मत ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2016 में फिर एक बार बुरा खेल खेला और आप चयन से सिर्फ 0.12 नंबर से रह गए तथा असफलता हाथ लगी,तथा इस असफलता ने आपको व परिवार को बहुत गहराई तक झकझोर दिया था, इस दौरान उम्र का दवाब,सामाजिक व पारिवारिक दवाब दिन-प्रतिदिन बडता जा रहा था व लोग ताने मारने में कोई कसर नहीं छोड रहे थे तथा आलोचना का रस लुट रहे थे,आपने पारिवारिक हालात को देखते हुए लगभग सालभर तक श्री राजेश्वर विद्या मंदिर,मंडार में अध्यापन का कार्य भी किया, आप निरन्तर इन विकट परिस्थतियों से जुझते रहे व खुद की कमजोर पृष्ठभूमि को हर तरह से मजबुत बनाते रहने के लिए निरन्तर संघर्ष किया,आपने 4 बार NET की परिक्षा भी उत्तीर्ण की लेकिन JRF में चयन नहीं हो पाया...मगर वो कहते हैं न कि "तुम बस अपने आप से मत हारना,
तुम्हे दुनिया की कोई ताकत हरा नहीं सकती" उक्ति को इन्होने जीवन प्रेरणा बना लिया था आखिरकार जब 16 मार्च 2020 का वह दिन आ ही जाता हैं जब आपका चयन "वरिष्ठ अध्यापक भर्ती 2018" में 677 वी रैंक से हो जाता हैं यह सफलता साधारण होते हुए भी असाधारण हैं आपके संघर्ष से प्राप्त सफलता हमें सिखाती हैं कि हमारी सफलता विद्यालयी कक्षाओ के परिणाम पर या सरकारी/निजी विद्यालयो में पढने पर निर्भर नहीं करती वरना जो छात्र दसवी में 37.05% By grace व पुरे जीवन में कभी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण ना हुआ हो(B.Ed को छोडकर) व सरकारी विद्यालय में ही पढा हो वह वरिष्ठ अध्यापक नहीं बन पाता,सफलता आपके जीवन में आई बाधाओ से लडने की क्षमता पर निर्भर करती हैं चाहे परिस्थतियाँ कितनी भी विकट क्यों ना हो हमे कभी हार नहीं माननी चाहिए अंतत: मैं भैया के साथ पूज्य माताजी-पिताजी को भी चरण स्पर्श कर बधाई देता हूँ कि आपके पसीने की बुँदो से विभिन्न दुखो को मौन रहकर सहन करके दुर्गम धैर्य,संघर्ष,जज्बे व निरन्तर मेहनत से लिखी गई आपके बेटे की कहानी आज रोशन हो रही हैं आपका संघर्ष विजयी हुआ हैं और ऐसा मेरा मानना हैं कि यह प्रेरणापुँज कई नए दीपक रोशन करेगा....
पुन: ढेर सारी बधाई एवं शुभकामनाएँ ....रमेश चौधरी भाई को
बार बार असफल होने पर भी उत्साह न खोना ही सफलता है.
बार-बार असफल होने पर भी उत्साह ना खोना ही सफलता है
आपकी जमीन कितनी है देखे अपने मोबाइल पर
अविस्मरणीय पलों के कुछ छाया चित्र!